Saturday 29 June 2013

इंद्रस-एक ऋग्वैदिक नायक II

इन्द्र के युद्ध कौशल के कारण आर्यों ने पृथ्वी के दानवों से युद्ध करने के लिए भी इन्द्र को सैनिक नेता मान लिया। इन्द्र के पराक्रम का वर्णन करने के लिए शब्दों की शक्ति अपर्याप्त है। वह शक्ति का स्वामी है, उसकी एक सौ शक्तियाँ हैं। चालीस या इससे भी अधिक उसके शक्तिसूचक नाम हैं तथा लगभग उतने ही युद्धों का विजेता उसे कहा गया है। वह अपने उन मित्रों एवं भक्तों को भी वैसी विजय एवं शक्ति देता है, जो उस को सोमरस अर्पण करते हैं।

इंद्र को ऋग्वेद मेँ द्यौस्, वृत्रघ्न, पुरंदर, शतक्रतु, वज्रपाणि, वज्रबाहु, दाशराज्ञि, कृष्णारि, दासपति, सोमप आदि नामोँ से जाना जाता है।

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