Monday 8 July 2013

हिंदू और हिंदुस्तान भाग I

हिंदु कोई धर्म नहीँ है एक जाति है । धर्म वह होता है जो बेडियाँ बांधे रखता है । जेसे भागवत धर्म इस्लाम वैष्णव शैव अहमदिया जैन इसाई सिक्ख शाक्त बौद्ध आदि आदि। कोई हिंदु मस्जिद जाता है मंदिर जाता है, चर्च भी जाता है, पीर की मजार पर जाता है आस्तिक तो है हि चार्वाक, कपिल और हिनयान बौद्ध दर्शन को मानने वाला नास्तिक भी हिंदू है। कोई हिंदु द्वैत है तो कोई अद्वैत, कोई साकार को माने तो कोई निराकार को, कोई वैज्ञानिक विचारधारा वाला है तो कोई रुढीवादी। इस जात मेँ भागवत, वैष्णव, शैव, ब्राह्मण, बौद्ध, सिक्ख, जैन, शाक्त, वैदिकधर्मी कभी कभी ईसाई भी और यहुदी लोग रहते हैँ।



पारसी कोई धर्म नी है असल मेँ पारसी पारस या फारस के लोँगोँ को कहते हैँ। जब्कि उनके धर्म का नाम जर्थुश्तवाद या झोरोएस्ट्रिस्म है। जो भी हो पारसी यहाँ अपने धर्म के नाम से नहीँ अपने देशवाची नाम से जाने जाते हैं।



जाने किस की देन थी के मुसलमान धर्म नहीँ जात की तरह दिखाया गया और हिंदु जात की बजाय धर्म की तरह। अरे मैँ पुछता हूँ कि भगवान को ना मानने वाला मैँ हिंदु क्या नास्तिक बन जाऊँगा। तो फिर वो हिंदू भी नास्तिक है जो साईँ जैसे मुल्ले की पूजा करता है। पीर की दरगाह पर चादर चढ़ाता है। आदि आदि। कुछ और रोचक तथ्योँ के साथ क्रमशः......

Saturday 29 June 2013

इंद्रस-एक ऋग्वैदिक नायक II

इन्द्र के युद्ध कौशल के कारण आर्यों ने पृथ्वी के दानवों से युद्ध करने के लिए भी इन्द्र को सैनिक नेता मान लिया। इन्द्र के पराक्रम का वर्णन करने के लिए शब्दों की शक्ति अपर्याप्त है। वह शक्ति का स्वामी है, उसकी एक सौ शक्तियाँ हैं। चालीस या इससे भी अधिक उसके शक्तिसूचक नाम हैं तथा लगभग उतने ही युद्धों का विजेता उसे कहा गया है। वह अपने उन मित्रों एवं भक्तों को भी वैसी विजय एवं शक्ति देता है, जो उस को सोमरस अर्पण करते हैं।

इंद्र को ऋग्वेद मेँ द्यौस्, वृत्रघ्न, पुरंदर, शतक्रतु, वज्रपाणि, वज्रबाहु, दाशराज्ञि, कृष्णारि, दासपति, सोमप आदि नामोँ से जाना जाता है।

Monday 24 June 2013

नव-ब्राह्मण युग और व्यास कृष्णद्वैपाय7

मुनि व्यास एक दोग़ला था। दरअसल इस मुनि के बाप ऋषि आर्य और माँ द्रविड़ थी। तबी ये काले पैदा हुए। जनाब को आर्योँ से इतनी नफ़रत थी के इन्होँने पुराणोँ मे आर्योँ का दबी धुन मेँ अपमान कर दिया।

उदाहरणतः इंद्र जिसने वृत्र का वध किया था। तथाकथित वृत्र को ब्राह्मण बताया। जनाब जरा सोचिए आज भी ब्राह्मणोँ को गौर वर्ण का माना जाता है अब आर्य ही तो गौर वर्ण के थे और इंद्र भी तो एक आर्य था। तो ब्राह्मण तो आर्योँ और इंद्र के वंशज हुए ना। तो वृत्र कहाँ से ब्राह्मण हो गया और इंद्र का अपमान की अच्छी विधि अपनाई वाह व्यास।

पुराण मेँ जान बूझके वृत्र को ब्राह्मण बताया ताकि आर्य ब्राह्मण अपने आर्य पुर्वजोँ से घृणा करेँ। इंद्र अपराधी हो गया। जब्कि उसने आम लोगोँ की भलाई लिए वृत्र को मारा।

दरअसल व्यास मेँ मातृसत्तामक द्रविड़ मूल विद्यमान थे अतः उसने आर्योँ को ही आर्योँ के खिलाफ़ कर दिया। जब ऐसा व्यास किसी का गुरु होगा तो उसका बंठाधार निश्चित है।

इंद्रस् एक ऋग्वैदिक नायक

ऋग्वेद मेँ इंद्र पौराणिक इंद्र से भिन्न है लेकिन अधिकतर सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति मेँ ऋग्वैदिक परंपरा की बजाय पौराणिक परंपरा जीवित है।

मुद्दा है असली इंद्र कौन थे?

माँ शवषी के गर्भ से जन्मे पिता त्वष्टा के वंशज और शची पति था इंद्र। संभवतः ऋषि अर्यमा ने उन्हेँ युद्ध और भाषा की शिक्षा दी थी।

युद्ध कुशल इंद्र ने कईँ लड़ाईयाँ लड़कर मध्य एशिया, काकेशस और आधुनिक ईरान अफ़ग़ानिस्तान और पश्चिमी पाकस्तान पर एक छत्र राज किया। उसका सबसे भयंकर युद्ध वृत्र के साथ हुआ। वृत्र संभवतः असीरिया (अब सीरिया) का राजा था। उसका मित्र पुलोमा था। जिसकी पुत्री शची थी।

शची को इंद्र से प्यार हुआ और इंद्र को भी। पर पुलोमा ने विवाह की शर्त रखी क्यूँकि पुलोमा वृत्र द्वारा निकाला गया था अतः उसने वृत्र को मार लाने की बात कही ये हि नहीँ वृत्र क्रुर था इसीलिए इंद्र ने उसे मारा । बाद मेँ पुलोमा राजा बन गए और शची का ब्याह इंद्र से हो गया। इसी वजह से इंद्र को वृत्रह्न या वृत्रघ्न कहा जाता है। अगली बार इंद्र और उसके पिता त्वष्टा और दानवोँ के विनाश और उपाधि के बारे मेँ बताउँगा।

असिष् कुकरेतिन्

गढ़ॉळक मनखिक भाषाक भारत सरकारल नसै द्याई