Monday 24 June 2013

नव-ब्राह्मण युग और व्यास कृष्णद्वैपाय7

मुनि व्यास एक दोग़ला था। दरअसल इस मुनि के बाप ऋषि आर्य और माँ द्रविड़ थी। तबी ये काले पैदा हुए। जनाब को आर्योँ से इतनी नफ़रत थी के इन्होँने पुराणोँ मे आर्योँ का दबी धुन मेँ अपमान कर दिया।

उदाहरणतः इंद्र जिसने वृत्र का वध किया था। तथाकथित वृत्र को ब्राह्मण बताया। जनाब जरा सोचिए आज भी ब्राह्मणोँ को गौर वर्ण का माना जाता है अब आर्य ही तो गौर वर्ण के थे और इंद्र भी तो एक आर्य था। तो ब्राह्मण तो आर्योँ और इंद्र के वंशज हुए ना। तो वृत्र कहाँ से ब्राह्मण हो गया और इंद्र का अपमान की अच्छी विधि अपनाई वाह व्यास।

पुराण मेँ जान बूझके वृत्र को ब्राह्मण बताया ताकि आर्य ब्राह्मण अपने आर्य पुर्वजोँ से घृणा करेँ। इंद्र अपराधी हो गया। जब्कि उसने आम लोगोँ की भलाई लिए वृत्र को मारा।

दरअसल व्यास मेँ मातृसत्तामक द्रविड़ मूल विद्यमान थे अतः उसने आर्योँ को ही आर्योँ के खिलाफ़ कर दिया। जब ऐसा व्यास किसी का गुरु होगा तो उसका बंठाधार निश्चित है।

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